Sunday, March 6, 2011

जनगणना हो गई पर छूट गए हजारों बेघर

बेघरों के प्रति जनगणना अधिकारियों की बेरुखी ने जनसंख्या गणना की कवायद को मजाक बना दिया और बेघरों को अछूत। यह कहना है बेघरों के बीच काम करने वाले कई गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) का।

एनजीओ ग्लोबल सोशल सर्विस सोसायटी ने दावा किया है कि दिल्ली में बेघरों की गणना में अपनाई गई प्रक्रिया किसी भ्रष्टाचार से कम नहीं है। दिल्ली के नांगलोई, पुराना ब्रिज, लोहा पुल इलाके में रहने वाले बेघरों की गणना के लिए तो अधिकारियों ने साफ इनकार कर दिया। कुछ इलाकों में तो इन अधिकारियों ने बेघरों और उनकी मदद करने वाले एनजीओ के लिए अपशब्द भी कहे। आजादपुर और ट्रांसपोर्ट नगर में एक हजार लोगों से जनगणना अधिकारी नहीं मिले। जबकि द्वारका में पांच हजार मजदूरों को इस प्रक्रिया में छोड़ दिया गया। पूर्वी दिल्ली में भी 3,000 लोगों की गणना नहीं हुई। संस्था आश्रय अधिकार अभियान के संजय कुमार बताते हैं कि वर्ष 2000 में संस्था ने दिल्ली में बेघरों की गणना कराई थी, जो 52,000 थी। जबकि 2001 की जनगणना में यह आंकड़ा सिर्फ 24,966 ही दर्शाया गया।


जनगणना ऑपरेशन की निदेशक वर्षा जोशी कहती हैं कि पूरी प्रक्रिया संतोषप्रद रही है।हमने इसमें एनजीओ की मदद भी ली है। यदि कोई इलाका छूट गया हो तो हमें सूचना दी जा सकती है।

Wednesday, February 16, 2011

शाहिदा ने ग्वालियर में सबसे पहले पूरी की जनगणना

ग्वालियर. शहर में चल रही जनगणना में सबसे पहले काम पूरा करने वाली एक शिक्षिका जनगणना कर्मियों के लिए प्रेरणस्रोत बन गई है। छत्री मंडी के पास भूरे बाबा की बस्ती में गणना करने वाली शिक्षिका शाहिदा बेगम ने सिर्फ पांच दिन में अपने क्षेत्र के परिवारों की गणना का लक्ष्य पूरा कर जनगणना सामग्री जमा करा दी है।

प्रदेश में सबसे पहले जनगणना सामग्री जमा करने वाली वह दूसरी कर्मचारी हैं। जनगणना निदेशालय के सहायक निदेशक विश्राम सिंह ने शाहिदा बेगम के जनगणना प्रपत्रों की जांच की और उनके काम से संतुष्ट थे। उन्होंने वार्ड 37 में छत्री बाजार स्थित ब्लॉक क्रमांक -1220 (भूरे बाबा की बस्ती) में जनगणना डच्यूटी की थी। उन्हें 105 परिवारों की गणना का लक्ष्य दिया गया था।

जनगणना कंट्रोल रूम के प्रभारी प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि शाहिदा बेगम का नाम उत्कृष्ट जनगणना करने पर राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए नामित किया जाएगा। शाहिदा बेगम ने जनगणना के पहले चरण में भी भूरे बाबा की बगिया में ही भवन सूचीकरण का काम किया था।


बेटे की खातिर की समय से पहले जनगणना

शहर में सबसे पहले गणना पूरी करने वाली गजराराजा स्कूल में शिक्षिका शाहिदा बेगम का कहना है कि बेटे की खातिर उन्होंने रोजाना रात 8:30 बजे तक काम किया। वह बताती हैं कि बेटे के पैर का आपरेशन होना है। इसलिए उन्होंने मेहनत कर जनगणना का काम जल्दी पूरा किया।

उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय दायित्व है इससे बचने के लिए कभी अवकाश लेने की बात जेहन में नहीं आई। इससे पहले की जनगणना में भी उन्हें यही क्षेत्र दिया गया था। सिर्फ पांच दिन में गणना का काम पूरा कर लिया। उन्होंने रोजाना स्कूल जाने से पहले सुबह और स्कूल के बाद रात 8:30 बजे तक गणना की।

Monday, January 24, 2011

Census gets modernised

Census 2011 will for the first time include other as an option for the question on gender should respondents choose to identify themselves as neither male nor female.

The move is part of the effort by the Census, now in its 130th year, to modernize, revising some of its questions to better capture Indian realities, as well as taking its message to Facebook and Twitter. Another significant change is an expansion in the definition of disability to allow better capturing of the country's disabled population, thus far vastly under-reported.

The question has been moved up to the middle from the end, which plays an important role in reducing stigma. Then, the categories of 'mental illness' separate from mental retardation, any other and multiple disability have been added, Registrar General and Census Commissioner C Chandramouli told.

Census 2011 is also trying to make improvements in two other areas: education and work-related info. The new form refines its not attending option on school attendance to read as never attended and attended before, so as to get a better picture of out-of-school children.

In the section on economic activity, while a marginal worker was formerly described as a person working less than six months a year, the category has been split into 3-6 months and less than 3 months. This is so that people who got work only on NREGA sites for the mandated 100 days a year can be identified. Sex work has been put into the category of others as against beggars.

The Census will begin simultaneously across the country on February 9 and over three weeks, 2.5 million enumerators mainly school teachers — will aim to cover every household, concluding the exercise by Feb 28. Revisions will be made between March 1 and 5, and within three weeks after that, the preliminary results for the population will be available.

We have been working toward reducing the time taken to put out all the reports from census data, said Chandramouli. This time around, we want to put out all the information within one-and-a-half years, he added, a big improvement from the five years taken in earlier censuses. This is thanks to a new scannable paper being used for the forms and handwriting recognition software that will allow all hand-filled forms to be scanned for data processing. In past censuses, demographers realized that there was significant bunching around numbers ending with a 0 or 5 in the age section as people often gave enumerators an approximation. Census 2011 will for the first time introduce a date of birth question in addition to rectify this. Separated and divorced have now been made separate options in the marital status section for better clarity.

The Census office is making a big push at getting the word out about the census across the country, even launching a Facebook and Twitter page. A teacher who was unhappy about having to take part in Census work has complained on the Facebook wall, but seems satisfied with the prompt response by the pages administrators, reminding her that she is doing a job of national importance and that her contribution is appreciated. Enumerators are respected and welcomed in rural areas, but often face difficulties in urban areas where they are turned away by security staff, Chandramouli added.

Wednesday, January 19, 2011

Get yourself counted

Urging people with disabilities (PWDs) to come forward and make themselves count in the 2011 census, speakers at a UP state zone consultation on census 2011 and disability said that headcount of people with disabilities would definitely make a positive difference.

"It is for the first time in India, that people with multiple disabilities will be a part of Census 2011. The census will not only include the number of people in each disabled category but also recognise diseases like dyslexia and autism as forms of disability,'' said Javed Abidi, convener of an advocacy group for PWD. He said that disability, which was included in various census conducted by British India was discontinued after 1951.

"In 1999, PWD took the street and compelled the government to insert the question on disability in the 2001 census. But that was a last minute addition, only the basic umbrella disabilities (namely vision, speech, audio, movement and mental) were covered. With the addition of three more categories in the segment, the complete picture would come to fore," said Abidi.

Census 2011 has added mental illness, mental retardation and multiple disabilities in the list of type of disability, besides the five basic categories. An insertion into this list would allow the enumerator to take a note of the disability like autism, progeria, inherited bleeding disorders (thalassemia or haemophilia), epileptic seizures, specific learning disabilities (dyslexia).

According to Census 2001, the total number of disabled people in India was 2.1 per cent of the total population. However, as per UN, around 10 per cent of the Indian population was disabled. "There is a huge gap between the two data, which means that a large number of the disabled are yet to be counted. But many people try to hide the disability because of stigma. We urge them to come out and get themselves counted," said Amitabh Mehrotra founder of SPARC India, a school for PWDs.

Tuesday, December 14, 2010

जनगणना में स्थान परिवर्तन के ब्यौरे होंगे दर्ज

बिलासपुर। राष्ट्रीय जनगणना 2011 के अन्तर्गत प्रश्न 23 और 24 में लोगों के स्थान परिवर्तन ब्यौरे प्राप्त किये जायेंगे। इसके अन्तर्गत ग्रामीण से नगरीय स्थान परिवर्तन या देश के एक भाग से दूसरे भाग में स्थान परिवर्तन की जानकारी दर्ज होगी।
कलेक्टर श्री सोनमणि बोरा ने जनगणना कार्य में लगे हुए चार्ज अधिकारियों, प्रगणकों व सुपरवाईजरों को स्पष्ट किया है कि, ऐसे व्यक्तियों की बहुत बड़ी संख्या होती है जो कि काम के लिए विवाह तथा अन्य कारणों से अपना निवास स्थान गांव से नगर अथवा अन्य गांव अथवा नगर में बदलते रहते है। यह अदला-बदली जिसमें निवास गांव व नगर से अन्य गांव व नगर में परिवर्तित होता है, स्थान परिवर्तन कहलाता है। धार्मिक स्थलों, सरकारी दौरा, भ्रमण, चिकित्सा उपचार आदि जैसी प्रकृति के पूर्णत: अस्थायी परिवर्तन को स्थान परिवर्तन नहीं माना जायेगा। कलेक्टर श्री बोरा ने कहा क्योंकि उक्त कारणों में व्यक्ति का निवास स्थान परिवर्तन नहीं होता है। स्थान परिवर्तन करने वाले व्यक्तियों को प्रवासीय माना जायेगा।
जनगणना के प्रयोजन के लिए स्थान परिवर्तन करने वाले दो प्रकार के होते है पहला - जन्मस्थान के अनुसार स्थान परिवर्तन करने वाले और दूसरा - पूर्व निवास स्थान के अनुसार स्थान परिवर्तन करने वाले । प्रश्न 23 में जन्मस्थान के अनुसार स्थान परिवर्तन करने वालों के ब्यौरे एकत्रित किये जायेंगे । जबकि प्रश्न 24 से 26 में पूर्व निवास स्थान के अनुसार स्थान परिवर्तन करने वालों के ब्यौरे प्राप्त किये जायेंगे। जन्मस्थान में गांव अथवा नगर, जिला और राज्य का वर्तमान नाम लिखा जायेगा। यदि कोई व्यक्ति देश में रेलगाड़ी या बस या नाव या हावाई जहाज, आदि में पैदा हुआ हो तो इस प्रश्न में उस गांव, नगर, जिले और राज्य, संघ राज्य क्षेत्र का मौजूदा नाम लिखे जहां जन्म को पंजीकृत कराया गया हो। यदि जन्म को पंजीकृत न कराया गया हो, तो इसमें उस प्रशासनिक क्षेत्र के विवरण दर्ज करें, जहां व्यक्ति का जन्म हुआ है। जो व्यक्ति गणना के गांव या नगर से बाहर लेकिन देश में ही पैदा हुआ हो, उसके उस राज्य, संघ राज्य क्षेत्र के वर्तमान नाम का पता लगाकर जहां उसका जन्म हुआ था, प्रश्न 23 में दर्ज किये जायेंगे।

सिवान व गोपालगंज के चार्ज अधिकारियों को मिला प्रशिक्षण

छपरा: जनगणना 2011 के तहत 1 से 28 फरवरी तक चलने वाले जनगणना अभियान को लेकर मंगलवार को समाहरणालय के सभागार में प्रमण्डल स्तरीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। दूसरे दिन सिवान एवं गोपालगंज जिले के जनगणना अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया।
जनगणना निदेशालय के सहायक निदेशक एम.एम.पाण्डेय ने जनगणना अधिकारियों को प्रशिक्षण देते हुए फार्म भरने, कानूनी पहलू, व्यक्ति व परिवार के मुखिया तथा मकान संख्या सहित कई महत्वपूर्ण जानकारी दी। प्रशिक्षण शिविर में सिवान के अपर समाहर्ता, एसडीओ सिवान, एसडीओ महराजगंज, डीआरडीए निदेशक सिवान, गोपालगंज जिले के अपर समाहर्ता सहित सिवान तथा गोपालगंज के सभी चार्ज एवं सहायक चार्ज अधिकारी उपस्थित थे। विदित है कि अगले वर्ष 1 से 28 फरवरी 2011 तक जनगणना अभियान चलेगा। इस अभियान में व्यक्तियों की गणना की जाएगी। इसके लिए जनगणना विभाग द्वारा तैयारी शुरू कर दी गई है। सारण जिले के चार्ज व सहायक चार्ज अधिकारियों को शिविर के पहले दिन सोमवार को जनगणना का प्रशिक्षण दिया गया था।

Sunday, December 12, 2010

किन्नरों को अलग श्रेणी अगले साल से

नई दिल्ली। किन्नरों को वर्ष 2011 की जनगणना में "अन्य" श्रेणी में शामिल किया जाएगा। सरकार द्वारा तकनीकि सलाहकार समिति की सिफारिशों को मंजूर कर लिए जाने के बाद ये रास्ता खुला है।

आरटीआई के तहत भारतीय महापंजीयक कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, 2011 की जनगणना में कोड "1" और "2" क्रमश: पुरूष और महिला के लिए हैं। जबकि किन्नरों को अलग कोड "3" दिया जाएगा।