Thursday, December 10, 2009

जन्म पंजीयन अज्ञानता के पंजे में

जन्म रजिस्ट्रेशन के लिए सांख्यिकी विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। नतीजतन ग्रामीण क्षेत्र में जन्म पंजीयन के आंकड़े ४० प्रतिशत से पार नहीं हो पा रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में पंजीयन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कोई दिक्कत नहीं हो रही है क्योंकि अधिकतर प्रसव संस्थागत हो रहे हैं। जबकि ग्र्रामीण क्षेत्रों में घरों में होने वाले प्रसव तथा जागरुकता के अभाव के चलते आंकड़े लक्ष्यों से दूर हैं। सरकारी कागजों में जन्म प्रमाण पत्र की अहमियत के बावजूद ना तो ग्रामीण पंजीयन कराने में रुचि ले रहे हैं और ना ही विभागीय स्तर पर विशेष अभियान चलाया जा रहा है। विभागीय अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव नहीं होने को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं। उनका कहना है कि शहरी क्षेत्रों में जन्म पंजीयन का आंकड़ा ९६ प्रतिशत है। जबकि जिले में जन्म पंजीयन का औसत ६४ प्रतिशत है। जन्म पंजीयन के आंकड़ा सौ प्रतिशत नहीं होने से अनेक सरकारी कार्यों को पूरा करने में भी परेशानी हो रही है। जनगणना १० वर्ष के अन्तराल में होती है। जिसमें प्रत्येक बार जनसंख्या और उसमें विशेषताओं का पता चलता है। अधिकारियों का कहना है कि वे इसके लिए जल्द अभियान छेड़ेंगे।विश्वसनीय अनुमान के लिएविश्वसनीय अनुमान लगाने के लिए जन्म रजिस्ट्रेशन का महत्व अधिक है। इसी प्रकार परिवार कल्याण की सफलता जन्म दर द्वारा ज्ञात की जा सकती है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए भी जन्म पंजीयन के आंकड़ों को आधार माना जाता है। शिक्षण संस्थाएं खोलने, पेयजल योजनाओं को लागू करने, विद्युतकरण काम के लिए भी पंजीयन के आंकड़े महत्वपूर्ण हैं।जरूरी है जन्म प्रमाण जन्म प्रमाण पत्र अनेक प्रकार के सरकारी कागजातों में महत्वपूर्ण होता है। विद्यालय प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, मताधिकार, बीमा पॉलिसी तथा राशन में नाम दर्ज कराने के लिए यह महत्वपूर्ण दस्तावेज में लिया जाता है। ञ्चग्रामीण क्षेत्रों में जागरुकता का अभाव है। हमनें स्वास्थ्य चेतना यात्रा में अपील भी जारी की थी। प्रचार प्रसार समय-समय पर किया जाता है। विभागीय इसके लिए विशेष अभियान चलाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम, ग्राम सेवक के सहयोग से पंजीयन हो सकता है।