Monday, July 12, 2010

PM और मंत्री-समूह से जाति जनगणना का विरोध करने की अपील

नई दिल्ली. ‘सबल’ भारत द्वारा संचालित ‘मेरी जाति हिन्दुस्तानी’ आंदोलन ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और जाति जनगणना के मसले पर गठित मंत्री-समूह के अध्यक्ष प्रणव मुखर्जी तथा उसके सदस्यों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वे वर्ष २क्११ की जनगणना में जाति को शामिल करने का फैसला न करें।आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. वेदप्रताप वैदिक की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जाति जनगणना जैसे गंभीर मामले में जल्दबाजी में फैसला लेना देशहित में नहीं होगा। पत्र में इस मसले पर समाज के सभी वर्गो के प्रबुद्ध लोगों की राय का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि गृह राज्यमंत्री अजय माकन ने जाति जनगणना का विरोध किया है।
लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंचालक मोहन भागवत, शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी जाति जनगणना को देश के लिए खतरनाक बताया है। ‘सबल’ भारत के साथ जुड़े सोमनाथ चटर्जी, बलराम जाखड़, वसंत साठे, जगमोहन और डॉ कपिला वात्स्यायन जैसे लोगों ने भी जाति जनगणना को अनावश्यक बताया है।
जस्टिस केएस वर्मा, जस्टिस राजेंद्र सच्चर, राम जेठमलानी, फली नरीमन और सोली सोराबजी ने भी इसे देश के लिए विघटनकारी बताया है। देश के प्रमुख आध्यात्मिक और धार्मिक नेताओं ने जातिवाद को मानव धर्म के खिलाफ घोषित किया है। वैदिक ने मंत्रियों को लिखे अपने पत्र में कहा है कि जाति जनगणना से वंचित वर्गो को लाभ मिलने के बजाए नुकसान होगा।
वंचितों में भी कई ऊंची-नीची जातियां उठ खड़ी होंगी और ऐसे लोग भी विशेष सुविधाओं के लिए दावे करेंगे, जिसकी उन्हें वास्तव में जरूरत नहीं है। उन्होंने पत्र के अंत में लिखा है, ‘अगर देश की गरीबी दूर करना है तो जातियों के आंकड़े इकट्ठा करने की बजाए गरीबी के आंकड़े और कारणों की खोज की जानी चाहिए। यही वैज्ञानिक जनगणना है।’

जाति आधारित जनगणना में देरी पर सरकार का होगा भारी विरोध: शरद

जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा है कि जाति के आधार पर जनगणना में और ‘‘देरी’’ हुयी तो सरकार को संयुक्त विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ेगा और उनकी पार्टी महिला आरक्षण विधेयक को उसके मौजूदा स्वरूप में विरोध करती रहेगी.
जाति के आधार पर जनगणना में देरी को लेकर केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए यादव ने कहा, ‘‘जनगणना में जाति को शामिल किए जाने पर राजग एवं संप्रग दोनों में पूर्ण सहमति है. एक दो सदस्यों को छोड़कर कांग्रेस में इसका व्यापक समर्थन है. अगर वे देरी के लिए बहाना बनाते हैं तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.’’ उन्होंने साक्षात्कार में कहा कि इस मुद्दे पर मंत्रियों के समूह के गठन को लेकर संदेह पैदा होता है कि सरकार इसमें देर करना चाहती है.
यादव ने हाल ही में आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार मामले में देर करना चाहती है. महिला आरक्षण विधेयक के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा स्वरूप में विधेयक को समर्थन देने का सवाल ही नहीं है. इस संबंध में हमारा विरोध नया नहीं है. हम इसका खुलेआम विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस सहित विभिन्न दलों में अधिकतर नेता इसे नहीं चाहते लेकिन वे सार्वजनिक रूप से इसे व्यक्त नहीं कर सकते.’’
यादव ने कहा, ‘‘सवाल संप्रग या राजग का नहीं है. अगर पार्टियां व्हिप जारी नहीं करती हैं तो विधेयक गिर जाएगा. उसे कहीं से समर्थन नहीं मिलेगा.’’ उन्होंने याद किया कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने उन्हें और मौजूदा स्वरूप में विधेयक का विरोध करने वाले अन्य लोगों को आश्वस्त किया था कि इस संबंध में एक सर्वदलीय बैठक के बाद ही फैसला किया जाएगा.
यह पूछे जाने पर कि अगले सत्र के दौरान लोकसभा में विधेयक पेश किए जाने पर विपक्ष की क्या प्रतिक्रिया होगी, यादव ने कहा, ‘‘वे इस प्रकार कैसे विधेयक पारित करवा सकते हैं. इसका लोकसभा में भारी विरोध होगा. यह राज्यसभा नहीं है जहां उन्होंने नौ मार्च को मार्शल की मदद से सदस्यों को बाहर कर विधेयक पारित करवा लिया.’’ यादव ने उच्च सदन में विधेयक के पारित होने के दौरान पार्टी के अंदर मतभेद उभरने की बात को बहुत तवज्जो नहीं दी.