Tuesday, August 10, 2010

जातिगत गणना पर सहमति के आसार

देश में बहस का कारण बने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर यूपीए सरकार और विपक्ष में आम सहमति बनने के आसार हैं। इस मुद्दे पर विचार के लिए सोमवार रात कांग्रेस कोर गु्रप की बैठक हुई। समझा जाता है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी की उपस्थिति में आयोजित इस बैठक में जातिगत जनगणना पर आगे बढ़ने का फैसला हुआ है।

प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने भी लंबे उहापोह के बाद जनगणना में जाति को शामिल करने पर रजामंदी जताई है। गौरतलब है कि संसद के बजट सत्र में सपा, जद (यू) और राजद ने जाति आधारित जनगणना की पुरजोर मांग की थी। इस मुद्दे पर राजनेताओं की अलग-अलग राय से मामला उलझ गया था। सरकार ने आम राय बनाने के लिए मंत्रियों के समूह (जीओएम) को यह मुद्दा सौंप दिया था। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले जीओएम ने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर लगभग सभी दलों से राय जानी है। जीओएम अब विचारों पर चर्चा के लिए जल्द ही बैठक करेगा।

सभी दलों को सात अगस्त तक इस मुद्दे पर राय देने को कहा गया था। क्या कांग्रेस ने अपने विचारों से जीओएम को अवगत करा दिया है, इसका सीधा जवाब देने से बचते हुए मुखर्जी ने कहा, ‘मैं कांग्रेस का प्रतिनिधि हूं। मैं कांग्रेस से बाहर नहीं हूं।’ इसके यह मायने हैं कि जीओएम की बैठक से पहले मुखर्जी, कांग्रेस के विचारों से अवगत करा सकते हैं। भाजपा ने राष्ट्रीय महत्व के किसी मुद्दे पर शायद पहली बार अपने मातृ संगठन आरएसएस से अलग रुख अपनाया है। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर गठित जीओएम के अध्यक्ष प्रणब मुखर्जी को पार्टी की ओर से पत्र संघ से बातचीत के बाद लिखा गया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर पार्टी की संघ से असहमति है। संघ का मानना है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की तरह अगर ओबीसी श्रेणी में जनगणना होती है तो इससे समाज में और दरार पैदा होगी।