Wednesday, September 8, 2010

अब गिनती के बाद पूछी जाएगी जाति

जनगणना के साथ ही जाति पूछने के फैसले से केंद्र सरकार ने अब कदम वापस खींचने का फैसला किया है। जातीय जनगणना में व्यावहारिक दिक्कतों पर गृह मंत्रालय की आपत्तियों के मद्देनजर अब जनगणना के बाद जातीय गणना कराई जाएगी। गुरुवार को कैबिनेट में इस नए फैसले को मंजूरी के आसार हैं। अलग से जातीय जनगणना पर करीब 2,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
सरकार का एक वर्ग हालांकि, अलग से जातीय गणना में समय और धन की बर्बादी रोकने के लिए जनगणना के साथ ही इसे कराने का पक्षधर था। इस वर्ग को यह भी आशंका है कि अलग से जातीय गणना के फैसले से इसमें अनावश्यक देर होगी। इसके बावजूद, गृह मंत्रालय जनगणना के साथ जातीय गणना कराने पर तैयार नहीं है। उसने इस प्रक्रिया को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं। गृह मंत्रालय का साफ कहना था कि एक साथ ये दोनों काम नहीं हो सकते, इससे जनगणना का काम काफी पीछे चला जाएगा। इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दखल देना पड़ा।
चूंकि, पिछड़ा वर्ग लॉबी और भाजपा समेत ज्यादातर राजनीतिक दल अब जातीय जनगणना के पक्ष में मत दे चुके थे, लिहाजा इससे पीछे हटने का सरकार के पास कोई रास्ता नहीं बचा था। लिहाजा, जनगणना में देरी न हो, इसके मद्देनजर अब सरकार ने तय किया है कि ये दोनों काम अलग-अलग हों। वर्ष 2011 से पहले जनगणना का काम पहले से नियत कार्यक्रम पर किया जाएगा। इसमें एक चरण का काम यानी घरों के सर्वेक्षण सरकार कर चुकी है। अब लोगों की शिक्षा और अन्य अहम जानकारियां ली जाएंगीं लेकिन, इसमें जो जाति का कॉलम जोड़ा जा रहा था, वह नहीं होगा। अब जनगणना का काम खत्म होने के बाद जातीय गणना के लिए अलग से अभियान चलाया जाएगा। ऐसे में, जातीय आंकड़े 2013 से पहले आने की उम्मीद कम ही है।