Thursday, September 9, 2010

अलग से होगी जाति आधारित जनगणना

विपक्षी दलों की माँग को स्वीकार करते हुए सरकार ने आजादी के बाद पहली बार जाति आधारित जनगणना अलग से कराने का आज फैसला किया जो अगले वर्ष जून से सितंबर तक होगी। इस जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा बाकी जातियों की गणना की जाएगी।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में यहाँ हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार ने जनगणना के मौजूदा कार्यक्रम को यथावत चलाने तथा जाति आधारित जनगणना अगले वर्ष जून से कराने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि घर-घर जाकर यह जनगणना की जाएगी। इसे जून 2011 में शुरू किया जाएगा और सितंबर 2011 तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना के बारे में गठित मंत्रिसमूह इस जनगणना पर होने वाले खर्च के बारे में निर्णय करेगी।

चिदंबरम ने बताया कि विधि एवं न्याय मंत्रालय से सलाह करके जाति आधारित आँकड़े एकत्र करने के लिये समुचित कानूनी व्यवस्था की जाएगी। भारतीय महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त के कार्यालय द्वारा यह जनगणना कराई जाएगी। इसके लिए विशेषज्ञों के दल बनाए जाएँगे जो जाति के आधार पर ब्यौरे उपलब्ध कराएँगे। आजादी के बाद देश में पहली बार जातिगत आधार पर जनगणना का निर्णय लिया गया है1 इससे पहले वर्ष 1931 में जाति आधारित जनगणना कराई गई थी।

इस बार संसद में विपक्षी दलों ने 2010 की जनगणना में जाति आधारित ब्यौरे भी एकत्र करने की माँग की थी जिस पर सरकार ने विचार करने के केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में एक मंत्रिसमूह गठित किया था। इस समूह ने सभी दलों से अलग राय लेने के बाद जाति आधारित जनगणना कराने की सिफारिश की।

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